रेलगाड़ी
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11TH AND 12TH CLASS भी बड़ी ही गज़ब होती है , बच्चे होते है इंजन और साल के शुरुवात में पता चलता है की ( STUDENTS=ENGINE ) को एक बोगी लेके जानी है लेकिन धीरे धीरे एक के बाद एक बोगी जुड़ती जाती है। ..अब बच्चों पर भी बड़ा बोझ हो जाता है , बोगी के जुड़ते रहने की वजह से वह एक लंबी रेलगाड़ी बन जाती है। अंत में जब बोगियों के जुड़ने की बारी ख़त्म हो जाती है तो ट्रेन चलना आरंभ करता है।
अक्सर ऐसा ही होता है की अगर नादान या नन्हा सा बच्चा ट्रेन की बोगी कितनी है इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने की कोशिश करता है लेकिन ....... कहानी में ट्विस्ट है बहनो ... वह नादान बच्चा गिनता तो है परंतु अंत में यही भूल जाता है की कितने थे ?
जी हां आप बलकुल ठीक सोच रहे है , ऐसी ही ज़िन्दगी है उन वरिष्ठ वर्ग के विद्यार्थियों की एवं विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों की .....
अब इंजन भी तैयार , बोगियों में सफाई भी हो गयी। ....
तो देर किस बात की है ?
ऑटो वाले , रिक्शा वाले , टैक्सी वाले सब यात्रियों को लेकर स्टेशन पर छोड़ के गए है। यात्री भी अपने ट्रैन में जाकर चढ़ जाते है :-
गुरुत्वाकर्षण विज्ञानं नामक ट्रेन में , अर्थशास्त्र कला नामक ट्रेन में , बिज़नेस वाणिज्य में इत्यादि। इसी बीच कुछ महानुभाव भी आते है ....कहाँ? अरे स्टेशन पर।
.ओहो ! .... जा कहाँ रहे है ? उनके नाम तो सुनते जाइये - अब महानुभाव है नाम भी अंग्रेजी में सुनाती हूं :-
.ओहो ! .... जा कहाँ रहे है ? उनके नाम तो सुनते जाइये - अब महानुभाव है नाम भी अंग्रेजी में सुनाती हूं :-
C++, PROJECTILE, INTERESTS, ORGANIC CHEMISTRY, HISTORY OF CRICKET,RUSSIAN REVOLUTION, INTEGRATION, OSCILATION, BINOMIAL THEOREM,FUNCTIONS ETC..
और सब के सब अपने अपने पोथी लेके आये है , कोई सब्ज़ी लेके आया है , कोई दो पेटियां लेके आया है। जिसके पास जितना सम्मान उससे भी उतने ज़्यादा लेता है कूली। बस वैसे ही परीक्षा में ज़्यादा उसीसे पूछते है जो हमारे पुस्तकों में ज़्यादा पन्नों में प्रकाशित होता है। इस ट्रैन को चलने वाला विद्यार्थियों का हाँथ और इंजन इंजन रुपी मन। जिसको चलना आता है वो चलते जाते है , जिसको नहीं आता उसे बैठने ही नहीं देते। कहाँ? ......... अरे गद्दी पर 😄😄😄
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