सकारात्मक सोच का महत्व

अक्सर हमारे जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां आती है जब ऐसा लगता है की हम मुश्किलों से घिरे हुए है । तब हमारे मन की भावनाएं शोकग्रस्त  है । लेकिन मनुष्य को चाहिए की वो हमेशा सकारात्मक विचारों को ही सोचे अवाम श्रवण करे ।
ऐसा करने से चाहे आप दुःख में हो या सुख में , अगर आपके विचार सकारात्मक होंगे तो आप कभी भी गलत मार्ग को नहीं चुनिएगा । अगर कभी आपकी अभिलाषाएं पूरी हुई तो दुखी मत होइएगा क्योंकि कहा जाता है की:-
अगर मन की बात पूरी हुई तो अच्छा ,
नहीं हुई तो और भी अच्छा 
क्योंकि वह भगवन की इच्छा है और भगवन सदैव आपके हिट के लिए ही चाहेंगे।  इसीलिए जब भी कभी विषम परिस्थिति आये तो आंसू मत बहन क्योंकि :-
"आंसू बहन तो सबको आता है पर आंसू रहते हुए भी मुस्कुराना बहुत काम लोगों को "

 सकारात्मकता में ऐसी ताकत है जो पतझड़ ऋतू में भी वसंत सा अनुभव करा सकती है 

बहुत लोग ये जानते होंगे की बल्ब का अविष्कार थॉमस एल्वा एडिसन जी ने किया और अविष्कार करने से पूर्व उन्हें कई बार असफलता का सामना करना पड़ा।   सोचिये की जब वह पहली बार चुके , दूसरी बार भी चुके और कई बार असफल हुए तब उन्होंने क्या सोचा होगा - यही की एक बार फिर कोशिश करते है ,यह सकारात्मकता ही थी जिसने उन्हें आगे बढ़ने की ओर।   आप भी अपने जीवन में सकारात्मकता को बढिए और नकारात्मकता से जितना दूर रह सकते उतना दूर रहिये।  

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