WO KHEL...BACHPAN KE....

क्या  आप याद कर सकते है की  last time आपने कब अपने दोस्तों या फिर अपने परिवार के सदस्यों के साथ लूडो बैठ कर खेला  हो या फिर अपने छोटे बच्चों के साथ लुका  - छुपी खेली हो.....  गिल्ली -डंडा खेला हो ... ....कब्बडी खेली हो... या फिर बैडमिंटन ही  खेला  हो ....   सोच में पड़ गए  होंगे आप......
याद करिये जब आप स्कूल के दिनों में अपने फ्रेंड्स के साथ स्कूल जाने के सफर में "आओ मिलो सिलो  सालो कच्चे धागे रेस लगालो , दस पत्ते तोड़े , एक पत्ता कच्चा ..... समोसे बड़े सस्ते नाना जी नमस्ते" गाते थे । ना जाने हम जब छोटे थे तो कितनी मस्ती किया करते थे.... स्कूल में जहाँ सीढियाँ मिली बस वही RECESS में शुरू हो जाते थे A,B,C,D खेलना ............
 यही है वो सीढियाँ जहाँ मैं 1st claas  में DPS MANALI  में अपने दोस्तों संग खेलने लगती थी जब मौका मिले... तो शुरू हो जाते थे खेलना, recess होते ही बस फटा-फट खाना खाया और आ गए कभी झूला झूलने कभी hide and seek खेलने तो कभी कुछ नए गेम्स इंवेंट कर लेते थे  । ... आज जब उन लम्हों को याद  कर रही थी मै  तब एहसास हुआ की जब छोटे थे तब पता नही था की आखिर बचपन होता क्या है... और अब पता चला की बचपन क्या था !!!!!
ना कोई  टोकता था ना ही कोई रोकता था कुछ भी करने से ....... ।
आज हर किसी की ज़िन्दगी इतनी व्यस्त हो गयी है की लोगों के पास अपने लिए या फिर अपनों के लिए वक़्त नही बचा।
बच्चे पढाई के बोझ से दबे है तो बड़े अपने काम में व्यस्त है............
किसीने क्या कभी आपको रोका  है  बचपन में  खेलों को दुबारा खेलने से..... नही कभी नहीं लेकिन फिर भी लोगों को लगता है की बचपन ........ बचपन था .... और अब हम बड़े हो गए है ।
 एक दिन मै अपने साथियों संग पिकनिक गयी थी और वहां मैंने देखा की झूला झूलने के लिए और स्लाइड पर चढ़ने के लिए  इतने  लोगों की लाइन लगी हुई थी। .... यहाँ तक की कॉलेज की लड़कियां भी वहां थी।
कोई बात नहीं अगर आप आज व्यस्त है ...बस एक बार आँखें बंद कर अपने बचपन को याद करिये। .... मुझे यकीन है की आपके  चेहरे पर ज़रूर मुस्कान छा  जाएगी।कोशिश करिये उन पलो को वापस जीने का.... क्योंकि ये ज़िन्दगी अगर बोर हो हो के जियेंगे तो लाइफ में  कभी खुश नहीं हो पाएंगे। वो भीतरी आनंद नहीं मिलेगा ... हमेशा ऐसा लगेगा की नहीं अब तो हम बड़े हो गए। न जाने कितने moments को आप मिस कर देंगे ये सोच  सोच के की बचपन चला गया ...... लेकिन असल बात तो ये है की बचपन कहीं जाता नहीं लेकिन हम शायद अपने बचपन को भुला देते है वक़्त के साथ साथ....
इंसान ज़िन्दगी में तभी तक खुश रह सकता है जब तक वो अपने दुखो को ना देखे ... ....
मानो तो जीवन में सिर्फ ख़ुशी है और न मानो तो सिर्फ दुःख .... इसीलिए कभी बचपन को भूलना मत , अपने जीवन से निकालना  मत क्योंकि वो कहीं न कहीं ख़ुशी का एहसास दिलाते रहते  है.... ENJOY THAT HAPPINESS ......AND BRING SMILE ON YOUR FACE.....

Comments

  1. गीता का ग्यान
    अपने अंतःकरण को पहचान
    कर खुद की खुशी का निर्माण
    GOD BLESS yOU ! kEEP SMILING !

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