आँखों का तारा है वो
दूर का किनारा है वो
चमक उठती है तारे आसमान में
काली अँधेरी रात भी जब आये
तू चुप क्यों है अपने आप से
आँखें खोल ...
ज़िन्दगी में जीने को बहुत कुछ है
कुछ खो भी दिया तो किसका गम
कुछ खो भी दिया तो किसका गम
अगर कुछ है तो यहाँ है
नहीं तो सब ईश्वर का जहाँ है।
दूर का किनारा है वो
चमक उठती है तारे आसमान में
काली अँधेरी रात भी जब आये
तू चुप क्यों है अपने आप से
आँखें खोल ...
ज़िन्दगी में जीने को बहुत कुछ है
कुछ खो भी दिया तो किसका गम
कुछ खो भी दिया तो किसका गम
अगर कुछ है तो यहाँ है
नहीं तो सब ईश्वर का जहाँ है।
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