तुम्हारी कोशिश

उदास मन ,
भावुक हृदय, 
अबोध कर्म,
मूढ़ मत ,
अधूरी अभिलाषायें,
सब इशारा करती होंगी
उस तरफ जहां 
तुम्हें जाना नहीं चाहिए |
परिस्थति जब परिकल्पना के विपरीत हो
तब भी , रोकना खुद को
स्मरण शक्ति और विवेक ही मानव को ज्ञान का बोध कराते हैं |
इसलिए सोचना ,
जब अपने आप को आपे से
बहार पाओ, 
दो पल के लिए भी अगर कहीं भटक जाओ
तो वापस आना
तुम्हारी ये कोशिश तुम्हें
औरों से अलग और कई बेहतर बनायेंगी |

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