तुम्हारी कोशिश
उदास मन , भावुक हृदय, अबोध कर्म, मूढ़ मत , अधूरी अभिलाषायें, सब इशारा करती होंगी उस तरफ जहां तुम्हें जाना नहीं चाहिए | परिस्थति जब परिकल्पना के विपरीत हो तब भी , रोकना खुद को स्मरण शक्ति और विवेक ही मानव को ज्ञान का बोध कराते हैं | इसलिए सोचना , जब अपने आप को आपे से बहार पाओ, दो पल के लिए भी अगर कहीं भटक जाओ तो वापस आना तुम्हारी ये कोशिश तुम्हें औरों से अलग और कई बेहतर बनायेंगी |