Meri Maa...

रौशनी दिखाई तूने जब अँधेरे में थी मै ,
सुबह तो देखा नहीं था मैंने तूने दिखा दी मुझे ,
जब पैर रखा था इस धरती पर 
तब तूने ही सहारा दिया ,
मेरे लिए सब कुछ किया |

आँखों में जब आंसू थे तो तूने ही उन्हें हटाया ,

हर ख़ुशी ,तूने गवा दी मेरे लिए । 
राह  में कठिनाई तो कई आई 
पर उन सबको सहा तूने ,
सहती  रही सिर्फ मेरे लिए । 

हर घडी सोचूँ  यही ,

की क्या कुछ नही किया तूने 
बारिश की एक बूँद भी नहीं पड़ने दी ,
गर्मी की धूप  भी सहने नहीं दी ,
शिशिर के ठंढ को भी छूने नहीं दिया ,
क्या कुछ नही किया तूने । 

हाथ  पकड़ कर तूने चलाया ,

हँसना भी तूने ही सिखाया ,
दुनिया जब  रुलाये तब तू  हँसाये। 
सही और गलत का  अंतर बताया । 
हिंदी,अंग्ऱेज़ी ,गणित ,विज्ञान सब पढ़ाया। 

आज भी याद करुँ तेरी आँचल में छुपना ,

तेरे हाथों से खाना,
और तेरी गोदी में सोना।
मुझे तूने  हर ख़ुशी दी ,
और खुद मेरा दुःख लिया। 

मुझे तूने जो राह बताया ,

उसी राह पर मैंने चल दिया।
तेरी ममता अनमोल है ,
इसका कोई मोल नही हो सकता। 

हर दिन जब तू आती है मुझे नींद से जगाने ,

तब अंगड़ाई लेकर करवट बदलती हुँ  । 
हौले हौले पलकें उठती हैं ,
जब आँखें खुलती हैं ,
 तब एक सुनहरा चेहरा दिखता है ,
वो और कोई नहीं 
वो है मेरी माँ। 

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